अमिताभ बच्चन का संपूर्ण जीवन परिचय ll Amitabh banchan
अमिताभ बच्चन भारतीय सिनेमा के शिखर पुरुष हैं—एक ऐसा नाम जो अभिनय, व्यक्तित्व और संघर्ष के प्रतीक के रूप में जाना जाता है। उनका जन्म 11 अक्टूबर 1942 को इलाहाबाद (अब प्रयागराज), उत्तर प्रदेश में हुआ। पिता हरिवंश राय बच्चन हिंदी साहित्य के अग्रणी कवि थे और माता तेजी बच्चन सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों से जुड़ी रहीं। जन्म के समय उनका नाम अमिताभ श्रीवास्तव था, बाद में पिता के साहित्यिक उपनाम ‘बच्चन’ को परिवार ने अपनाया। बचपन से ही अनुशासन, संवेदना और कला का वातावरण उन्हें मिला जिसने उनकी सोच और व्यक्तित्व को आकार दिया।
👉परिवार और शिक्षा
अमिताभ ने नैनीताल के शेरवुड कॉलेज से शिक्षा प्राप्त की,जहाँ उन्होंने वाद-विवाद, खेल और मंचीय गतिविधियों में भी हिस्सा लिया।
आगे की पढ़ाई दिल्ली विश्वविद्यालय के किरोड़ीमल कॉलेज से हुई।
पढ़ाई पूरी करने के बाद वे कुछ समय कोलकाता में एक शिपिंग कंपनी में कार्यरत रहे।
इसी दौरान अभिनय का आकर्षण बढ़ता गया और वे मुंबई आए, जहाँ संघर्षों की लंबी शुरुआत हुई—ऑडिशन, अस्वीकृतियां और छोटे-छोटे अवसरों का सिलसिला, जिन पर उन्होंने धैर्य के साथ काम किया।
👉करियर की शुरुआत और उदय
1969 की फिल्म ‘सात हिंदुस्तानी’ से अभिनय की शुरुआत हुई।
👉उनकी गहरी और प्रभावशाली आवाज़ ने उन्हें अलग पहचान दी।
1973 की ‘जंजीर’ ने उन्हें वह मंच दिया जिसने हिंदी फिल्मों में एक नए नायक की परिभाषा तय की: समाज से टकराने वाला ‘एंग्री यंग मैन’।
इसके बाद ‘दीवार’ (1975), ‘शोले’ (1975), ‘कभी कभी’ (1976), ‘अमर अकबर एंथनी’ (1977), ‘डॉन’ (1978), ‘त्रिशूल’ (1978), ‘काला पत्थर’ (1979), ‘सिलसिला’ (1981) जैसी फिल्मों ने उनकी लोकप्रियता को अभूतपूर्व ऊँचाई दी।
अमिताभ बच्चन का संपूर्ण जीवन परिचय ll Amitabh banchan
1982 में ‘कुली’ की शूटिंग के दौरान गंभीर चोट ने उनके जीवन और करियर में बड़ा विराम लाया। देशभर में उनके स्वास्थ्य के लिए दुआओं का सिलसिला चला। वे स्वस्थ होकर लौटे और 1980–90 के दशक में ‘शहंशाह’, ‘अग्निपथ’, ‘हम’ जैसी फिल्मों से प्रभाव बनाए रखा।
1990 के दशक के अंत में कुछ असफलताओं और आर्थिक संकटों के बाद 2000 में ‘कौन बनेगा करोड़पति’ (KBC) के साथ टेलीविज़न पर उन्होंने ऐतिहासिक वापसी की। उनकी शालीनता, बुद्धिमत्ता और संवाद शैली ने शो को एक सांस्कृतिक घटना बना दिया। इसी दौर में ‘मोहब्बतें’ (2000) ने एक परिपक्व किरदार के रूप में उनके दूसरे अध्याय की शुरुआत की। इसके बाद ‘ब्लैक’ (2005), ‘चीनी कम’ (2007), ‘पा’ (2009), ‘पीकू’ (2015), ‘पिंक’ (2016), ‘बदला’ (2019), ‘गुलाबो सिताबो’ (2020), ‘झुंड’ (2022) जैसी फिल्मों ने उनकी बहुमुखी प्रतिभा को नये सिरे से स्थापित किया।
👉प्रमुख उपलब्धियां और सम्मान
👉पद्मश्री (1984)
👉पद्मभूषण (2001)
👉पद्मविभूषण (2015)
👉दादा साहेब फाल्के पुरस्कार (2019)
👉फ्रांस का लीजन ऑफ ऑनर (2007)
चार बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार: विजेता:अग्निपथ (1990), ब्लैक (2005), पा (2009), पीकू (2015)
उनकी आवाज़ देश की सबसे पहचान योग्य सांस्कृतिक ध्वनियों में गिनी जाती है। डॉक्यूमेंट्री, कवितापाठ और नैरेशन में उनकी उपस्थिति एक अलग सत्ता रखती है।
अमिताभ बच्चन का संपूर्ण जीवन परिचय ll Amitabh banchan
👉राजनीति और चुनौतियाँ
1984 में वे राजनीति में आए और इलाहाबाद से लोकसभा के लिए चुने गए।
लेकिन राजनीतिक जीवन उनके स्वभाव और प्राथमिकताओं से मेल नहीं खा पाया; 1987 में उन्होंने इस्तीफा दे दिया।
👉1990 के दशक में उनकी कंपनी ABCL (Amitabh Bachchan Corporation Ltd.)
ने महत्वाकांक्षी परियोजनाओं के साथ शुरुआत की, पर वित्तीय संकट में फंस गई।
यह उनके करियर का सबसे चुनौतीपूर्ण काल था—फिल्में अपेक्षित सफलता नहीं दे रही थीं, और आर्थिक दबाव बढ़ रहा था।
लेकिन उन्होंने धैर्य, अनुशासन और विश्वास के साथ वापसी की।
👉कमजोरियाँ और असफलताएँ
शुरुआती करियर में कई फिल्में असफल रहीं।
1982 में ‘कुली' के दौरान लगी चोट ने उन्हें जीवन-मृत्यु की स्थिति में पहुँचा दिया।
राजनीति में प्रवेश असफल रहा।
1990 के दशक में आर्थिक संकट और असफल फिल्मों ने उनकी लोकप्रियता को प्रभावित किया।
कभी-कभी भूमिका-चयन में जोखिम लेने के कारण आलोचना भी हुई।
निजी जीवन
👉पत्नी:अभिनेत्री जया भादुरी (1973 में विवाह)
👉संतान:श्वेता बच्चन नंदाऔर अभिषेक बच्चन
👉बहू: अभिनेत्री ऐश्वर्या राय बच्चन
👉पोती: आराध्या बच्चन
विरासत और वर्तमान
अमिताभ बच्चन को “बॉलीवुड का शहंशाह” कहा जाता है। उन्होंने हिंदी सिनेमा के नायक की परिभाषा बदली—न्याय, विरोध और आंतरिक संघर्ष को करुणा और दृढ़ता से जोड़ा।
उनकी संवाद अदायगी, लय और विराम का उपयोग, कैमरे के प्रति सचेत लेकिन सहज उपस्थिति, यह सब अभिनय के विद्यार्थियों के लिए दीर्घकालिक पाठ हैं। नई पीढ़ियों के निर्देशकों के साथ काम कर उन्होंने अपने कला-संसार को विस्तार दिया।
आज भी वे काम कर रहे हैं—नये निर्देशक, विविध विधाएँ, और बड़े-छोटे पर्दे पर सतत उपस्थिति। उनकी यात्रा यह बताती है कि सफलता स्थायी नहीं होती; उसे बनाए रखने के लिए अनुशासन, सीखने की ललक और आत्म-संशोधन आवश्यक है।
11 अक्टूबर 1942 को शुरू हुई यह कहानी—संघर्ष, विफलता, पुनरुत्थान और शिखर—एक जीवंत प्रेरणा है। उपलब्धियों और खामियों, दोनों को साथ रखते हुए, अमिताभ बच्चन का जीवन इस बात का प्रमाण है कि कला का मूल्य उस ईमानदारी में है जिससे कलाकार समय के साथ स्वयं को नए सिरे से गढ़ता रहता है।
👉 संक्षेप में, अमिताभ बच्चन का जीवन भारतीय सिनेमा का इतिहास है—जहाँ एक व्यक्ति ने अपनी आवाज़, अभिनय और संघर्ष से पूरी पीढ़ी को प्रभावित किया।
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