युवराज सिंह की आत्मकथा: संघर्ष, सफलता और संकल्प की कहानी
भारतीय क्रिकेट के चमकते सितारे युवराज सिंह ने अपने जीवन में जितनी ऊँचाइयाँ देखीं, उतनी ही गहराइयों से भी गुज़रे। उनकी आत्मकथा एक प्रेरणादायक यात्रा है—जिसमें क्रिकेट, कैंसर और comeback की कहानी है।
बचपन में युवराज को टेनिस और रोलर स्केटिंग में अधिक रुचि थी। उन्होंने स्केटिंग में राष्ट्रीय स्तर पर पदक भी जीते, लेकिन उनके पिता ने उन्हें क्रिकेट की ओर मोड़ा।
युवराज ने अंडर-19 वर्ल्ड कप 2000 में शानदार प्रदर्शन किया, जिससे उन्हें भारतीय टीम में जगह मिली।
उनका वनडे डेब्यू 3 अक्टूबर 2000 को केन्या के खिलाफ हुआ।
👉2007 टी-20 वर्ल्ड कप में इंग्लैंड के खिलाफ 6 गेंदों में 6 छक्के लगाए।
👉2011 वर्ल्ड कप में मैन ऑफ द टूर्नामेंट रहे, जहाँ उन्होंने बल्ले और गेंद दोनों से योगदान दिया।
युवराज सिंह की आत्मकथा: संघर्ष, सफलता और संकल्प की कहानी
2011 वर्ल्ड कप के बाद युवराज को मेडियास्टिनल सेमिनोमा नामक कैंसर हुआ।
उन्होंने अमेरिका में इलाज कराया और कीमोथेरेपी के कठिन दौर से गुज़रे।
युवराज ने हार नहीं मानी और 2012 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में वापसी की। उनकी वापसी ने लाखों लोगों को प्रेरित किया।
युवराज की आत्मकथा: "The Test of My Life"युवराज सिंह की आत्मकथा: संघर्ष, सफलता और संकल्प की कहानी
इस पुस्तक में युवराज ने अपने कैंसर से लड़ाई, क्रिकेट करियर, और आत्मिक संघर्षों को विस्तार से साझा किया है।
व्यक्तिगत जीवन विवाह और परिवार युवराज सिंह ने हेज़ल कीच से 2016 में विवाह किया। वे सामाजिक कार्यों में भी सक्रिय हैं और ✌YouWeCan Foundation के माध्यम से कैंसर पीड़ितों की मदद करते हैं।
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