गांव का मौसम, poem,gaon ka mousam

गांव का मौसम, poem,gaon ka mousam 

देखो हमारे गांव का मौसम कितना सुहाना है,

ताज़गी और हरियाली का यहां हर कोई दिवाना है।
चार बजे उठते हैं पंडित जी घंटी मन्दिर की बजाने को,

शहर के शोर से दूर यहां अलार्म नहीं जगाने को।

पिता जी ने भी उठकर कर रहे त्यारी नहाने को

गांव का मौसम, poem,gaon ka mousam 

आंख खुली जब देख मैने इक अजीब सी जनत्त है,

शांत सा वातावरण, चुप सी हवा, मद्धम सी ठंडक है।
बारी बारी से उठकर सभी ने राम नाम का नाम लिया,

गांव का मौसम, poem,gaon ka mousam 


सबसे पहले उठकर सभी ने धरती मां को प्रणाम किया।
सूर्य देव के आते ही इक अजीब सी रौनक छाई है,

पिता जी ने नहाकर स्वच्छ जल की धारा बहाई है।

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